Monday, July 27, 2015

Ek WISH ... Ek Khwahish ... Desh Ratna



फ़रियादी हूँ मौला, आवाज़ दे। 
नमाज़ों को मेरी, नवाज़ दे।। 

अदा कर इल्म की सल्तनत। 
इक मुरिशद दे, फैय्याज़ दे।। 

नज़्मों से निकले हमा-तरन्नुम। 
इलाही इक ऐसा साज दे।। 

वो दे दे जो मेरा है। 
हमआवाज़ दे, फराज़ दे।। 

लावारिस मुझमें देखें वालिद । 
दे मुझको, ये अंदाज दे।। 
- © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna"

मैं दीवार चढ़ जाऊंगा। -- © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna"

मैं दीवार चढ़ जाऊंगा....

कई बार देखा है चींटी को मुह में 
शक्कर के ढेले को लेकर, 
पूरी ताक़त से जकड़कर, 
अपने नन्हें दांतों में  पकड़कर, 
फ़र्श पर चलते हुए। दीवारों पे चढ़ते हुए। 
मंथर गति  से। 
अनुशासन और गंभीरता से। 
अक्सर सोचता हूँ, 

जीवन की मिठास, कितना सरल बना देती है सब।
व्यक्तित्व के पंख, िकतनी सरलता से गुरुत्वाकषर्ण-बल पे िवजय पा लेते हैं।

मुझे खबर है, तुम वही शक्कर की िमठास हो।
अबकी, मैं दीवार चढ़ जाऊंगा।
 -- © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna"

Ashaar ..

मेरी पोशाक उतरी मैं नंगा हो गया।
मेरी आंगन मे जब कल दंगा हो गया।।

कुपोषण भूखमरी सब सरकारी दावे हैं।
खूँ पीके यहाँ खटमल भी चंगा हो गया।।
(To b cntnd..- © बख़्त फ़क़ीरी)

प्रेम सम्पूर्णता देता है - Desh Ratna

प्रेम सम्पूर्णता देता है - 
सम्पूर्णता  - 
जैसे नवजात शिशु के हाथों का पिता की उंगली थाम लेना। 
जैसे कन्यादान के समय पुत्री के निश्छल नयन से नीर का प्रवाह। 
जैसे जीवन की इह लीला समािप्त पर ज्येष्ट पुत्र का मुख में अग्नि देना। 
प्रेम सम्पूर्णता देता है... To b cntnd... - © बख़्त फ़क़ीरी

Kadwahat 3 - Desh Ratna


यहाँ ितरंगा भी हलाल हो गया।
कहीं भगवा कहीं लाल हो गया।।

कट्टा लेकर दौड़ा है छुटका।
गाँव में नया बवाल हो गया।।

खाते थे सेवई हम भी इद पर।
सुना वो पुराना साल हो गया।।

नेता िजसे िदया था वोट मैंने।
संसद में जाकर दलाल हो गया।।

दोस्त मेरा अश्लील गीतकार है।
वो गाने बेच मालामाल हो गया।।

इक कलम जो बग़ावत िलखती है।
उसका होना इक सवाल हो गया।।
- © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna"

Ek Ghazal - Desh Ratna

उगता सूरज उल्लुओं को जगायेगा।
मुर्गा सुबह बांग देना भूल जायेगा।। 

जम्हूिरयत में आवाम बेिलबास है।
नंगा क्याि नचोड़ेगा, क्या नहायेगा।।

भूख सब िरश्ते भूला देती है।
अपने बच्चे साँप खा जायेगा।

दीमक दीखा दरवाजे पे आज।
घर में कलतक आ जायेगा।।

गुमनाम था धमाकों से पहले।
सुबह अखबारों में छा जायेगा।।

पुराना िकस्सा नयी नस्लों के नाम।
दाना डालेगा, बहेिलया तो आयेगा।।

- © बख़्त फ़क़ीरी

Ashaar ...

जुबाँ जब बेबाक हो जाती है।
पहले खुदपे सफ्◌़फ़ाक हो जाती है।। (सफ़्फ़ाक - िनष्ठुर)
जलाती है बिस्तयाँ जो लकड़ी।
वो खुद भी खाक़ हो जाती है।।
© बख़्त फ़क़ीरी

मैं समीकरण बदल डालूँगा। @ Desh Ratna

मैं समीकरण बदल डालूँगा।


मेरी भोर िकसी मूगेर् की बाँग की प्रतीक्षा नहीं करेगी।
ना चाँद का उिदत होना राित्र का संदेश बनेगा।
नये आयामो-आसमां नयी आग़ाज़ होगी।
नये पिरन्दों की नयी परवाज़ होगी।
अबकी रथ के पिहये िकसी कीचड़ में नहीं फंसेंगे।
ना िकसी पृथा वचन में अंगराज शीश चढायेगा।
एकलव्य का अंगूठा दीक्षा में द्रोण को लौटाना होगा।
रिश्मरथी के कुंडल िबना देवराज को जाना होगा।
(क्रमशः......- बख़्त फक़ीरी "Desh Ratna")

Kadwahaten 2

माँ रातों में मुझको, बच्चों की चीख सुनाई पड़ती।
कोढ़ी हाथों से मागीं, भीख सुनाई पड़ती है।

मैं पाषाण हृद्य से, गीत नहीं गा सकता माँ।
बिखरे शब्दो में, संगीत नहीं ला सकता माँ।।

मुझको हर अबला की, आँखें पुकारा करती हैं।
मेरे पैरूष को खूब िधक्कारा करती हैं।।

मुझको सन्नाटे में भी शोर सुनाई पड़ती है।
वो रोती बच्ची हर ओर सुनाई पड़ती है।।
शांति वार्ता की झूठी ये बोल बदलने आया हूँ 
माँ मैं दुनिया का सम्पूर्ण भूगोल बदलने आया हूँ। 
(To b cntnd..- © बख़्त फ़क़ीरी)

Kadwahaten ...

मुख्यमंत्री जी को सबने, अकड़ते हुये देखा है।
नहीं िकसी ने बच्चों को, िठठुरते हुये देखा है।।

यहाँ रजाईयों में िलपटा है, शाह मुल्क का।
उसने नहीं बहनों को, ठंढ से मरते हुये देखा है।।

कड़वाहट कम नहीं होती, अजब मजबूरी है मेरी।
मैंने बेकफन लाशों को जलते हुये देखा है।।

ये नया बावर्ची है, मसाला बहुत डालेगा।
मैंने इसे  िसयासी सपनों  तलते हुये देखा है।।

जी मैं शाहजहानाबाद हूँ , मैं बयान देती हूँ।
हर नयी सुबह की धूँध, आँख मलते हुये देखा है।। - © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna

A message to Yazidi Kids - Desh Ratna



ऐय मेरे यज़ीदी बच्चों आओ मैं तुम्हें खौफ से लड़ना िसखाता हूँ
मुझे खबर है की िसंजर कि पहािड़यों में
सूखे गले और भूखे पेट को लेकर तुम खौफ़ से लड़ रहे हो.
मुझे खबर है की पेट कि
भूख और गले की प्यास के आगे का खौफ क्या होता है.
मैंने हमवतन पंिडतों को देखा है जेहादी हाथों से लूटते हुए.
मैंने यहूदी बच्चों को देखा है उनका वतन छूटते हुए.
मैं जनता हूँ
िक आज दुआएं पढ़ने वाले हाथ तुम्हारे साथ नहीं।
मैं ये भी जनता हूँ
कि जेहाद वाला अल्लाह तुम्हारे साथ नहीं।
तो क्या हुआ ?
तुम्हें खौफ्फ़ से आगे बढ़ना है.
तुम्हें इक नया अल्लाह गढ़ना है.

एक आसान रास्ता है, पेट पे बारूद बांधकर चैन से सोया करो.
इससे भूख नहीं िमटेगी, पर भूख से आगे के भय पर तुम काबू पाना सीखोगे।
पर मुझे ख़ौफ़ इस बारूद से जगमगाती रात के बाद के काले सवेरे की है.
तो मैं तुम्हें नेल्सन मंडेला की कहानी याद िदलाता हूँ.
याद रखना की दशकों बंद कमरे से िनकालकर भी वो सक्श मुस्कुराना नहीं भुला था.

सुनो छोडो बारूद और मेरी आवाज़ बाँध लो अपने कानों में.

मैं यकीन िदलाता हूँ तुम अपने खौफ से लड़ना सीख जाओगे। - © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna"

In support of Narmada Jal Satyagrah



मेरी आँखों में खौफ़ नहीं मिलेगा.


मेरा जिस्म आज भीगा है जो तुम देख पा रहे हो
हो सकता है कल ये गलने लगे और परसों सड़ जाये.
और मेरे सड़े जिस्म से बदबू आने लगे.
मुझे मालूम है ये जो मीडिया के कैमरे मुझे लगातार घूर रहे हैं.
ये मेरे सड़े जिस्म की नुमाइश करने ज़रूर आयेंगे.
तब तुम देखना --
मेरी चमरियों में शायद सिलवटें पड़ी होंगी.

पाव भर मांस बाहर लटकने लगा होगा.
मेरे नाख़ून का रंग सफ़ेद हो चुका होगा..
मेरे इस सफ़ेद रंग को गौर से देख लेना.
ये रंग मैं हर सियासतदार के कुर्ते पे छोड़ कर जाऊंगा.
और एक बात --
तुम्हें मेरे सिकुड़े जिस्म के झुर्रीदार चेहरे पे दो आँखें भी मिलेंगी..
और तब तुम देखोगे --
तुम्हें मेरी आँखों में खौफ़ नहीं मिलेगा.. - © बख्त फ़क़ीरी "देश रत्न "

Desh Ratna @ Protest against RTI activists murder

Desh Ratna @ RTI Protest

Desh Ratna @ Creative Tihar



Desh Ratna @ NCCT Inaugural

DESH RATNA with APJ Kalam ji @ NCCT Inaugural