उगता सूरज उल्लुओं को जगायेगा।
मुर्गा सुबह बांग देना भूल जायेगा।।
जम्हूिरयत में आवाम बेिलबास है।
नंगा क्याि नचोड़ेगा, क्या नहायेगा।।
भूख सब िरश्ते भूला देती है।
अपने बच्चे साँप खा जायेगा।
दीमक दीखा दरवाजे पे आज।
घर में कलतक आ जायेगा।।
गुमनाम था धमाकों से पहले।
सुबह अखबारों में छा जायेगा।।
पुराना िकस्सा नयी नस्लों के नाम।
दाना डालेगा, बहेिलया तो आयेगा।।
- © बख़्त फ़क़ीरी
नंगा क्याि नचोड़ेगा, क्या नहायेगा।।
भूख सब िरश्ते भूला देती है।
अपने बच्चे साँप खा जायेगा।
दीमक दीखा दरवाजे पे आज।
घर में कलतक आ जायेगा।।
गुमनाम था धमाकों से पहले।
सुबह अखबारों में छा जायेगा।।
पुराना िकस्सा नयी नस्लों के नाम।
दाना डालेगा, बहेिलया तो आयेगा।।
- © बख़्त फ़क़ीरी
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