यहाँ ितरंगा भी हलाल हो गया।
कहीं भगवा कहीं लाल हो गया।।
कट्टा लेकर दौड़ा है छुटका।
गाँव में नया बवाल हो गया।।
कहीं भगवा कहीं लाल हो गया।।
कट्टा लेकर दौड़ा है छुटका।
गाँव में नया बवाल हो गया।।
खाते थे सेवई हम भी इद पर।
सुना वो पुराना साल हो गया।।
नेता िजसे िदया था वोट मैंने।
संसद में जाकर दलाल हो गया।।
दोस्त मेरा अश्लील गीतकार है।
वो गाने बेच मालामाल हो गया।।
इक कलम जो बग़ावत िलखती है।
उसका होना इक सवाल हो गया।।
- © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna"
सुना वो पुराना साल हो गया।।
नेता िजसे िदया था वोट मैंने।
संसद में जाकर दलाल हो गया।।
दोस्त मेरा अश्लील गीतकार है।
वो गाने बेच मालामाल हो गया।।
इक कलम जो बग़ावत िलखती है।
उसका होना इक सवाल हो गया।।
- © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna"
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