Monday, July 27, 2015

A message to Yazidi Kids - Desh Ratna



ऐय मेरे यज़ीदी बच्चों आओ मैं तुम्हें खौफ से लड़ना िसखाता हूँ
मुझे खबर है की िसंजर कि पहािड़यों में
सूखे गले और भूखे पेट को लेकर तुम खौफ़ से लड़ रहे हो.
मुझे खबर है की पेट कि
भूख और गले की प्यास के आगे का खौफ क्या होता है.
मैंने हमवतन पंिडतों को देखा है जेहादी हाथों से लूटते हुए.
मैंने यहूदी बच्चों को देखा है उनका वतन छूटते हुए.
मैं जनता हूँ
िक आज दुआएं पढ़ने वाले हाथ तुम्हारे साथ नहीं।
मैं ये भी जनता हूँ
कि जेहाद वाला अल्लाह तुम्हारे साथ नहीं।
तो क्या हुआ ?
तुम्हें खौफ्फ़ से आगे बढ़ना है.
तुम्हें इक नया अल्लाह गढ़ना है.

एक आसान रास्ता है, पेट पे बारूद बांधकर चैन से सोया करो.
इससे भूख नहीं िमटेगी, पर भूख से आगे के भय पर तुम काबू पाना सीखोगे।
पर मुझे ख़ौफ़ इस बारूद से जगमगाती रात के बाद के काले सवेरे की है.
तो मैं तुम्हें नेल्सन मंडेला की कहानी याद िदलाता हूँ.
याद रखना की दशकों बंद कमरे से िनकालकर भी वो सक्श मुस्कुराना नहीं भुला था.

सुनो छोडो बारूद और मेरी आवाज़ बाँध लो अपने कानों में.

मैं यकीन िदलाता हूँ तुम अपने खौफ से लड़ना सीख जाओगे। - © बख़्त फ़क़ीरी "Desh Ratna"

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