मैं समीकरण बदल डालूँगा।
मेरी भोर िकसी मूगेर् की बाँग की प्रतीक्षा नहीं करेगी।
ना चाँद का उिदत होना राित्र का संदेश बनेगा।
नये आयामो-आसमां नयी आग़ाज़ होगी।
नये पिरन्दों की नयी परवाज़ होगी।
अबकी रथ के पिहये िकसी कीचड़ में नहीं फंसेंगे।
ना िकसी पृथा वचन में अंगराज शीश चढायेगा।
एकलव्य का अंगूठा दीक्षा में द्रोण को लौटाना होगा।
रिश्मरथी के कुंडल िबना देवराज को जाना होगा।
(क्रमशः......- बख़्त फक़ीरी "Desh Ratna")
मेरी भोर िकसी मूगेर् की बाँग की प्रतीक्षा नहीं करेगी।
ना चाँद का उिदत होना राित्र का संदेश बनेगा।
नये आयामो-आसमां नयी आग़ाज़ होगी।
नये पिरन्दों की नयी परवाज़ होगी।
अबकी रथ के पिहये िकसी कीचड़ में नहीं फंसेंगे।
ना िकसी पृथा वचन में अंगराज शीश चढायेगा।
एकलव्य का अंगूठा दीक्षा में द्रोण को लौटाना होगा।
रिश्मरथी के कुंडल िबना देवराज को जाना होगा।
(क्रमशः......- बख़्त फक़ीरी "Desh Ratna")
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